स्वास्थ्य के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए दो नए समझौते                                                                 

      

आईआईटी-बॉम्बे और सीएसआईआर-इम्टेक के पदाधिकारी एवं वैज्ञानिक

स्वास्थ्य के क्षेत्र में अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने के लिए चंडीगढ़ स्थित सूक्ष्‍मजीव प्रौद्योगिकी संस्‍थान (इम्टेक) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-बॉम्बे के साथ समझौता किया है। इस पहल से विचारों के आदान-प्रदान, नए ज्ञान के विकास और दोनों संस्थानों के शोधकर्ताओं और शिक्षकों के बीच उच्च गुणवत्ता के शोध कौशल को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

आईआईटी-बॉम्बे के शोध एवं विकास विभाग के डीन प्रोफेसर मिलिंद अत्रे और इम्टेक, चंडीगढ़ के कार्यवाहक निदेशक डॉ मनोज राजे ने नई दिल्ली के केंद्रीय वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) मुख्यालय में इस संबंध समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस मौके पर सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे भी मौजूद थे।

डॉ मांडे ने कहा कि “इन दोनों संस्थानों को अपने-अपने क्षेत्रों में महारत हासिल है। आईआईटी-बॉम्बे देश के शीर्ष संस्थानों में शुमार किया जाता है तो इम्टेक का फोकस भारत की मेडिकल जरूरतों को पूरा करने में रहता है। इन दोनों संस्थानों के बीच इस नए करार से स्वास्थ्य के क्षेत्र में संयुक्त स्तर पर किए जाने वाले शोध कार्यों का दायरा बढ़ सकता है।”


सीडीआरआई, लखनऊ के वैज्ञानिक और एफईईडीएस-ईएमआरसी, मणिपुर के प्रतिनिधि

डॉ मांडे ने कहा कि “ इन दोनों संस्थानों को अपने-अपने क्षेत्रों में महारत हासिल है। आईआईटी-बॉम्बे देश के शीर्ष संस्थानों में शुमार किया जाता है तो इम्टेक का फोकस भारत की मेडिकल जरूरतों को पूरा करने में रहता है। "

यह समझौता मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में दिए गए दिशा निर्देशों पर आधारित है, जिसमें सभी आईआईटी संस्थानों को सीएसआईआर की राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ समझौता करने को कहा गया था। वर्ष 1984 में स्थापित सीएसआईआर-इम्टेक राष्ट्रीय स्तर पर सूक्ष्मजीव विज्ञान का एक उत्कृष्ट केंद्र है। इस संस्थान को स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई दवाओं एवं थेरेपी, मेडिकल प्रक्रिया और नैदानिक तकनीकों के विकास के लिए बुनियादी वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए जाना जाता है।

सीएसआईआर से संबद्ध लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) ने भी मणिपुर की संस्था फाउंडेशन फॉर एन्वायरमेंट ऐंड इकोनोमिक डेवेलपमेंट सर्विसेज (एफईईडीएस)- एथ्नो-मेडिसिनल रिसर्च सेंटर (ईएमआरसी) के साथ करार किया है। इस समझौते का प्रमुख उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान के वैज्ञानिक सत्यापन (साइंटिफिक वेलीडेशन) करना है। एफईईडीएस मणिपुर में स्थित एक वैज्ञानिक सोसाइटी है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के जंगलों में उपलब्ध औषधीय पौधों के पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान का कार्य करती है।

इस समझौते के तहत एफईईडीएस-ईएमआरसी चिह्नित औषधीय पौधों की खेती, पादप सामग्री की आपूर्ति एवं निष्कर्षण, रासायनिक लक्षणों की पहचान तथा प्रारंभिक जैव सक्रियता का मूल्यांकन करेगा। इसके साथ ही, पादप सामग्री की प्रस्तावित जैव-संभावना (बायो-प्रोस्पेक्टिंग) के लिए सलाह भी देगा।

एफईईडीएस-ईएमआरसी द्वारा भेजी गई पादप सामग्री और उनके सक्रिय घटकों के फाइटोकेमिकल डेटा के संग्रह के साथ-साथ उनके लोक-पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण की प्रामाणिकता का मूल्यांकन सीएसआईआर-सीडीआरआई द्वारा किया जाएगा। पादप अर्कों के मानकीकरण की प्रक्रिया और उनके मूल्य संवर्द्धन के लिए उन्नत रासायनिक विश्लेषण भी सीडीआरआई द्वारा किया जाएगा।
इंडिया साइंस वायर

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