भविष्य की जरूरतों पर केंद्रित पांच नए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मिशन                                                                 

      

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग पांच नए मिशन शुरू कर रहा है, जो भविष्य में देश के विकास की रूपरेखा निर्धारित करने में उपयोगी हो सकते हैं। इनमें इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन, क्वांटम साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी मिशन, क्लीन फ्यूल्स: मेथेनॉल मिशन और मैपिंग इंडिया मिशन शामिल हैं। इनके अलावा, साइबर-फिजिकल सिस्टम्स मिशन को पिछले साल ही मंजूरी दी जा चुकी है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि “भविष्य की बढ़ती प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा करने, अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, देश के विभिन्न क्षेत्रों की सटीक मैपिंग और भविष्य के अत्याधुनिक कंप्यूटिंग प्रणालियों के विकास में ये मिशन उपयोगी हो सकते हैं।”

भविष्य की परिवहन जरूरतों के देखते हुए पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन शुरू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास से जुड़े विभिन्न घटकों पर आधारित शोध एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।


“ भविष्य की बढ़ती प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा करने, अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, देश के विभिन्न क्षेत्रों की सटीक मैपिंग और भविष्य के अत्याधुनिक कंप्यूटिंग प्रणालियों के विकास में ये मिशन उपयोगी हो सकते हैं। ”

लिथियम बैटरीज वर्ष 2025 तक दुनिया भर में चलन से बाहर होने लगेंगी। ऐसे में, नए मैटेरियल्स विकसित करने होंगे। हाइड्रोजन फ्यूल सेल, नई रासायनिक संरचनाओं और अधिक ताप वहन करने में सक्षम बैटरियों का विकास इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी उभरती तकनीक इस क्षेत्र में नए विकल्प हो सकते हैं। बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहनों के कारण बड़े पैमाने पर चार्जिंग से इलेक्ट्रिक ग्रिडों पर पड़ने वाले प्रभाव के आकलन के लिए भी शोध की जरूरत होगी।

मेथेनॉल और डाइमिथाइल के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मेथेनॉल मिशन शुरू किया जा रहा है। इसके लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाएंगे। पेट्रोल और डीजल की तुलना में मेथनॉल कम ऊर्जा देता है, किंतु यह परिवहन एवं ऊर्जा क्षेत्र और रसोई गैस में एलपीजी (आंशिक रूप से), केरोसीन में पेट्रोल तथा डीजल और लकड़ी के कोयले को प्रतिस्थापित कर सकता है। स्वच्छ पर्यावरण और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में इस मिशन की भूमिका अहम हो सकती है।

प्रौद्योगिकी के इन नए आयामों में क्वांटम तकनीक को बढ़ावा देने के लिए भी एक मिशन शुरू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम मौसम विज्ञान एवं सेंसिंग और संवर्द्धित इमेजिंग शामिल होगी। इसके अलावा, पिछले वर्ष शुरू किए गए साइबर-फिजिकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन को भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग लागू करने में जुटा है। कुल 3600 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया यह मिशन समाज की बढ़ती प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा करने और नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। क्वांटम मिशन प्रौद्योगिकियों का प्रभावी उपयोग करने में केंद्रीय मंत्रालयों, सरकारी विभागों, राज्य सरकारों और उद्योगों को विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के संचालन में मदद करेगा।

प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया कि पूरे देश की डिजिटल मैपिंग के लिए एक अन्य पांचवां मिशन तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत उपग्रह चित्रों और ड्रोन की मदद से मानचित्र तैयार किए जाएंगे। ये मानचित्र 1:5 पैमाने पर बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अगले दो साल में पूरे देश की मैपिंग की जाएगी और इस तरह बने मानचित्र विभिन्न विकास परियोजनाओं में मददगार हो सकते हैं। +
इंडिया साइंस वायर