अधिक पैदावार देने वाली मेन्था की नई प्रजाति ‘सिम उन्नति’                                                                 

      

भारतीय वैज्ञानिकों ने मेन्था की एक नई प्रजाति विकसित की है, जिससे एक हेक्टेयर में 190 किलोग्राम तक सुगंधित तेल प्राप्त किया जा सकता है। ‘सिम उन्नति’ नामक मेन्था की इस प्रजाति की फसल 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है। इस प्रजाति से 75 प्रतिशत मेंथॉल और एक प्रतिशत से ज्यादा सुगंधित तेल प्राप्त किया जा सकता है, जो मेन्था की दूसरी प्रजातियों की अपेक्षा 15-20 प्रतिशत अधिक है। लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में आयोजित किसान मेले के दौरान 31 जनवरी को यह नई प्रजाति किसानों के लिए जारी की जाएगी।

सीमैप के वैज्ञानिक डॉ मनोज सेमवाल ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “एक लीटर मेन्था के तेल की कीमत करीब 800 रुपये है। इस तरह देखें तो एक हेक्टेयर में ‘सिम उन्नति’ की खेती से डेढ़ लाख रुपये से अधिक आमदनी हो सकती है।” उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में इस प्रजाति की नर्सरी लगाने के लिए करीब पांच क्विंटल जड़ें किसानों को उपलब्ध करायी जा रही हैं। इससे मिलने वाले उत्पादन का आकलन करने के बाद अगले साल 100 क्विंटल जड़ें किसानों को मुहैया करायी जा सकती हैं।

मेन्था की खेती को बढ़ावा देने के लिए सीमैप किसानों को मेन्था की ‘सिम-कोशी’ प्रजाति भी उपलब्ध करा रहा है। एक हेक्टेयर में मेन्था की खेती से 140 लीटर से 150 लीटर तक तेल प्रदान करने वाली यह मेन्था की सबसे अधिक पैदावार देने वाली प्रजाति है। किसानों को यह उन्नत प्रजाति अरोमा मिशन के तहत मुहैया करायी जा रही है। किसान मेले में ‘सिम-कोशी’ की लगभग 500 क्विंटल मेन्था जड़ें पौध सामग्री के रूप में किसानों को उपलब्ध करायी जाएंगी। मेन्था की इस किस्म से 0.8 प्रतिशत सुगंधित तेल होता है। एक हेक्टेयर में मेन्था की इस प्रजाति की खेती से 1.20 लाख तक आमदनी हो सकती है।


मेन्था की खेती को बढ़ावा देने के लिए सीमैप किसानों को मेन्था की ‘सिम-कोशी’ प्रजाति भी उपलब्ध करा रहा है। एक हेक्टेयर में मेन्था की खेती से 140 लीटर से 150 लीटर तक तेल प्रदान करने वाली यह मेन्था की सबसे अधिक पैदावार देने वाली प्रजाति है।

सीमैप के कार्यकारी निदेशक डॉ अब्दुल समद ने बताया कि “इस वर्ष किसान मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से आए लगभग सात हजार किसान शामिल हो रहे हैं। इस दौरान किसानों को औषधीय तथा सगंध पौधों की खेती से संबधित वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की जाएगी।” उन्होंने बताया कि मेले में लगभग 25 उद्योगो के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं।

सीमैप द्वारा बनाये गये तीन उत्पादों - सिमकेश हेयर ऑयल, सिम-मृदा शक्ति तथा सोरियासिम क्रीम को भी किसान मेले में जारी किया जाएगा। सिमकेश हेयर ऑयल एंटी डैंड्रफ तेल है, जो रूसी रोकने, बालों को पोषण देने, मजबूती प्रदान करने और बालों के झड़ने से रोकता है। जबकि, सिम-मृदा शक्ति मिट्टी के गुणों को बढ़ाने के लिए उपयोग होने वाला एक पूरक उत्पाद है। कार्बन तत्वों से युक्त इस उत्पाद में उच्च जल धारण क्षमता के गुण मौजूद हैं।

सिम-मृदा शक्ति मिट्टी में कार्बन का संचय अधिक समय तक करता है। इसको सुगंधित पौधों के आसवन से निकले अपशिष्ट पदार्थों से बनाया गया है। सिम-मृदा शक्ति न केवल विषाक्त धातुओं का पौधों में अवशोषण रोकता है, बल्कि उपज को भी बढ़ाता है। किसान स्वयं इसे 15 रुपये प्रति किलोग्राम की कम लागत में बना सकते हैं। वहीं, सोरियासिम क्रीम त्वचा रोगों को कम करने में महत्वपूर्ण रूप से प्रभावी पायी गई है।
इंडिया साइंस वायर

Latest Tweets @Indiasciencewire