नई खोजों, पेटेंट और उत्पादन से मिल सकता है समृद्धि का रास्ता                                                                 

      

डॉ पी. तमीलरासन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत की विकासगाथा बहुत हद तक विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसकी सफलता पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि “नवाचार होने पर उनका पेटेंट कराना होता है, पेटेंट से नई खोजों पर आधारित उत्पादन के रास्ते खुलते हैं और इन उत्पादों को जब हम देश के लोगों के पास ले जाएंगे, तो मुझे यकीन है कि वे समृद्ध होंगे।” वह बेंगलुरु में 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।

दुनियाभर के शीर्ष वैज्ञानिक, नोबेल पुरस्कार विजेता, गणमान्य व्यक्ति, शोधार्थी और छात्रों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु की यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने युवा वैज्ञानिकों को 'नवाचार, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि' का मंत्र देते हुए कहा है कि ये चारों कदम देश को तेजी से विकास की ओर अग्रसर करने की क्षमता रखते हैं। प्रधानमंत्री ने भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के परिदृश्य को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वह यह जानकर खुश हैं कि भारत की रैंकिंग ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 52 तक सुधरी है। उन्होंने कहा है कि पिछले पांच वर्षों में जितने प्रौद्योगिकी व्यवसाय इन्क्यूबेटरों का निर्माण किया गया है, वह गत 50 वर्षों की तुलना में काफी अधिक हैं। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने वैज्ञानिकों को बधाई दी है।

इस 5 दिवसीय आयोजन में 2 नोबेल पुरस्कार विजेताओं के अलावा दुनियाभर के 15 हजार विशेषज्ञ शामिल होंगे। साइंस कांग्रेस में हर साल किसी समस्या पर विमर्श और समाधान खोजने की कोशिश की जाती है। इस बार भारतीय विज्ञान कांग्रेस की थीम ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : ग्रामीण विकास रखी गई है।’ प्रधानमंत्री ने कहा है कि “पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए दुनिया के वैज्ञानिकों को प्रयोगशालाओं में प्लास्टिक का विकल्प खोजना होगा। खेती के विकास के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा के उत्पादन पर बल देने की जरूरत है।”


ग्रामीण विकास में प्रौद्योगिकी के उपयोग को व्यापक बनाने की जरूरत है। आगामी दशक भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित गवर्नेंस का रहने वाला है। वर्ष 2025 तक भारत ऊर्जा और जैविक ईंधन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता और केंद्र बनकर उभर सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि तकनीक के कारण ही किसानों का सीधे बाजार से लेनदेन करना संभव हुआ है। इसी से किसानों को खेती और मौसम से संबंधित जानकारी मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्र में हमें तकनीक को मजबूत बनाना है। पानी के पुनर्चक्रण के लिए सस्ती तकनीकों का विकास ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में उपयोगी हो सकता है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी जरूरी है। मध्यम और लघु उद्योगों को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने पर भी प्रधानमंत्री ने जोर दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि “ग्रामीण विकास में प्रौद्योगिकी के उपयोग को व्यापक बनाने की जरूरत है। आगामी दशक भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित गवर्नेंस का रहने वाला है। वर्ष 2025 तक भारत ऊर्जा और जैविक ईंधन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता और केंद्र बनकर उभर सकता है। अंतरिक्ष अनुसंधान की तरह अब समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में भी सफलता नजर आनी चाहिए। हमें समुद्र में मौजूद जल, ऊर्जा, भोजन और खनिज का दोहन करने की जरूरत है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति के साथ-साथ प्लास्टिक के विकल्प खोजने के लिए भी वैज्ञानिकों से आग्रह किया है। इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ से धातुएं निकालने के लिए नई एवं सुरक्षित तकनीकों के विकास को भी प्रधानमंत्री ने जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए समाधान बाजार में उतारे जाएंगे तो मध्यम और लघु उद्योगों के विकास को बल मिल सकता है।

विज्ञान कांग्रेस में बोलते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने कहा है कि “वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइंटिफिक सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (एसएसआर) शब्द का उपयोग किया था। यह वैज्ञानिक समुदाय की सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है। एसएसआर को व्यापक स्तर पर लागू करने के लिए हम एक विस्तृत नीति बनाने की ओर अग्रसर हैं।”

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने आई-स्‍टेम पोर्टल भी लॉन्‍च किया। इसके बारे में कहा जा रहा है कि यह पोर्टल युवा वैज्ञानिकों को अनुसंधान और विकास में सहायता प्रदान करने में उपयोगी हो सकता है। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक प्रकाशनों में भारत की बढ़ती उपस्थिति की सराहना करते हुए कहा है कि “बदलते भारत में प्रौद्योगिकी के साथ तार्किक सोच की भी आवश्यकता है ताकि हमारे सामाजिक और आर्थिक जीवन के विकास को नई दिशा मिल सके।”
इंडिया साइंस वायर

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