“विज्ञान पुरस्कारों के युक्तिकरण से बढ़ेगा वैज्ञानिकों का मनोबल”                                                                 

      

डॉ जितेंद्र सिंह (फोटोः डीएसटी)

भी मंत्रालयों को भारत सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों की संपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणाली बदलने के लिए अपने सभी पुरस्कारों की समीक्षा, युक्तिकरण और पुन: संयोजन करने के लिए कहा गया है।

इस दिशा में कार्य करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा प्रदान किये जाने वाले 200 पुरस्कारों का युक्तिकरण किया जा रहा है। पुरस्कार प्रदान करने की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने, प्रभावी उद्देश्य प्राप्त करने तथा बेहतर दक्षता लाने के लिए यह पहल की गई है।


सभी मंत्रालयों को भारत सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों की संपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणाली बदलने के लिए अपने सभी पुरस्कारों की समीक्षा, युक्तिकरण और पुन: संयोजन करने के लिए कहा गया है।


केंद्र सरकार का कहना है कि डीएसटी द्वारा प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों के युक्तिकरण और चुनिंदा पुरस्कारों को समाप्त करने का व्यापक उद्देश्य है। इसमें दोहरेपन से बचाव, अधिक से अधिक उद्देश्यपरकता प्राप्त करना, और पारदर्शिता एवं दक्षता लाना शामिल है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, इनमें से कुछ पुरस्कार विभिन्न एजेंसियों द्वारा अपर्याप्त दिशा-निर्देशों, मनमानी पात्रता, मूल्यांकन और चयन मानदंडों के माध्यम से संसाधित किए जा रहे थे। उन्होंने कहा है कि इस कदम से मौजूदा पुरस्कारों की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और पुरस्कारों के युक्तिकरण से वैज्ञानिक समुदाय का मनोबल भी बढ़ेगा।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि इस कदम से विभाग द्वारा प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों की चयन प्रकिया में पारदर्शिता आएगी और इसका मानकीकरण होगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पुरस्कार दिशा-निर्देशों, द्वितीयक अनुसंधान और सर्वोत्तम प्रथाओं के विश्लेषण से पता चला है कि विभिन्न पुरस्कारों के लिए अपनायी जाने वाली पुरस्कार प्रक्रिया में मानकीकरण की कमी रही है। उन्होंने कहा कि यह समाज के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र पर वांछित प्रभाव डालने में विफल रही है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/DST/AWARDS/HIN/21/12/2022