उद्योग दिवस पर दिखेगी आईआईटी छात्रों के बनाए उत्पादों की झलक                                                                 

      

र्यावरण, परिवहन, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और पोषण से लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरती चुनौतियों से लड़ने के लिए नए तकनीकी उत्पादों की जरूरत पड़ती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के शोधकर्ताओं और छात्रों ने ऐसे कई उत्पाद एवं प्रोटोटाइप विकसित किए हैं, जो इन जरूरतों को पूरा करने में मददगार हो सकते हैं।

दुर्गम इलाकों में मदद पहुंचाने के लिए बनाए गए ड्रोन से लेकर सेना के जवानों के लिए हल्के बॉडी आर्मर, मीट का सेवन न करने वाले लोगों के लिए पादप आधारित पौष्टिक प्रोटीन आहार, कैंसरग्रस्त ऊतकों की पहचान के लिए उपकरण, दिव्यांगों के लिए आरामदेह बैसाखी, चावल की भूसी से कप-प्लेट बनाने की तकनीक, पानी से संचालित हीटिंग सिस्टम और खास तरह के कार्डियक स्टेंट इन प्रौद्योगियों में मुख्य रूप से शामिल हैं।

आईआईटी-दिल्ली में 21 सितम्बर से शुरू हो रहे उद्योग दिवस के तीसरे संस्करण में 200 से अधिक उत्पादों के प्रोटोटाइप और पोस्टर प्रदर्शित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य उद्योग एवं अकादमिक साझेदारी एवं सहयोग को बढ़ावा देना और शोधकर्ताओं द्वारा अत्याधुनिक अनुसंधान का प्रदर्शन करना है। इस बार उद्योग दिवस की पांच थीम रखी गई हैं, जिनमें टिकाऊ अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण के लिए स्वच्छ ऊर्जा, टिकाऊ मेडिकल तकनीक, उभरती नैनो तकनीक एवं एडवांस मैटेरियल्स, पर्यावरण स्थिरता और मेक इन इंडिया शामिल हैं।


आईआईटी-दिल्ली के छात्रों द्वारा बनाया गया ड्रोन

दुर्गम इलाकों में मदद पहुंचाने के लिए बनाए गए ड्रोन से लेकर सेना के जवानों के लिए हल्के बॉडी आर्मर, मीट का सेवन न करने वाले लोगों के लिए पादप आधारित पौष्टिक प्रोटीन आहार पानी से संचालित हीटिंग सिस्टम और खास तरह के कार्डियक स्टेंट इन प्रौद्योगियों में मुख्य रूप से शामिल हैं।

आईआईटी, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने बताया कि “स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित नवाचार, स्वच्छ ऊर्जा के नए विकल्पों की खोज और कचरा प्रबंधन कुछ ऐसे प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनसे जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए शोध संस्थानों को उद्योग जगत के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। रोजगार पैदा करने और मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने की हमारी महत्वाकांक्षा को पूरा करने में उद्योग केंद्रित अनुसंधान की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। आईआईटी-दिल्ली के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस औद्योगिक साझीदारों के साथ इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं।”

आईआईटी-दिल्ली में डीन, कॉरपोरेट रिलेशन्स, प्रोफेसर अनुराग एस. राठौर ने बताया कि “टिकाऊ विकास में अकादमिक संस्थानों और उद्योग जगत की साझेदारी महत्वपूर्ण हो सकती है। यह आयोजन इस संदर्भ कें एक महत्वपूर्ण मंच साबित हो सकता है, जहां शोधकर्ता और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को एक-दूसरे से सीधा संवाद करने का अवसर मिल सकता है। इस बार उद्योग दिवस के मौके पर करीब 150 उद्योगों और उनसे जुड़े लगभग 500 प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं।”

पिछले 5 वर्षों के दौरान आईआईटी-दिल्ली में 890 प्रायोजित अनुसंधान परियोजनाएं शुरू हुई हैं। इनमें से अधिकतर परियोजनाएं प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य, ऊर्जा संरक्षण, पुनर्चक्रण, जल संरक्षण और पोषण जैसी उभरती चुनौतियों पर केंद्रित हैं।
इंडिया साइंस वायर

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