सेमीकंडक्टर पर शोध एवं विकास के लिए नई साझेदारी                                                                 

      

मारे दैनिक जीवन में शामिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एक अनिवार्य आवश्यकता हैं- सेमीकंडक्टर । दुनियाभर में एक बड़ा बाजार है, जहाँ सेमीकंडक्टर की माँग है। भारत अपने बुनियादी ढाँचे, प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, और कुशल इंजीनियरिंग कार्यबल के कारण इस क्षेत्र में प्रभावशाली भागीदार बनने की महत्वपूर्ण स्थिति में है। यही कारण है कि केंद्र सरकार भी सेमीकंडक्टर पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने के लिए लगातार प्रोत्साहन दे रही है।

सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में एक नई पहल के अंतर्गत बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और सैमसंग सेमीकंडक्टर इंडिया रिसर्च (एसएसआईआर) ने देश में सेमीकंडक्टर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है। सैमसंग सेमीकंडक्टर इंडिया रिसर्च (एसएसआईआर) सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड के वैश्विक नेटवर्क का एक हिस्सा है, जो इलेक्ट्रॉनिक पुरजों से संबंधित समाधान प्रदान करता है।

इस साझेदारी के अंतर्गत ऑन-चिप इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज (ईएसडी) सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने पर प्रमुखता से जोर दिया जाएगा। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के निदेशक प्रोफेसर गोविंदन रंगराजन और एसएसआईआर, बेंगलुरु के प्रबंध निदेशक बालाजी सौरीराजन के बीच इससे संबंधित समझौते का आदान-प्रदान किया गया है। इस अवसर पर सैमसंग तथा आईआईएससी के प्रतिनिधि एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

इस साझेदारी के अंतर्गत उन्नत एकीकृत सर्किट (आईसी) और सिस्टम-ऑन-चिप (एसओसी) उत्पादों में अल्ट्रा-हाई-स्पीड सीरियल इंटरफेस की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक ईएसडी उपकरण बनाने का प्रयास किया जाएगा। इससे संबंधित शोध कार्य प्रोफेसर मयंक श्रीवास्तव और उनकी टीम द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियरिंग विभाग (डीईएसई), आईआईएससी में किया जाएगा। इस शोध से प्राप्त समाधान सैमसंग के उन्नत प्रोसेस नोड्स में तैनात किए जाएंगे।


हमारे दैनिक जीवन में शामिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एक अनिवार्य आवश्यकता हैं- सेमीकंडक्टर । दुनियाभर में एक बड़ा बाजार है, जहाँ सेमीकंडक्टर की माँग है। भारत अपने बुनियादी ढाँचे, प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, और कुशल इंजीनियरिंग कार्यबल के कारण इस क्षेत्र में प्रभावशाली भागीदार बनने की महत्वपूर्ण स्थिति में है। यही कारण है कि केंद्र सरकार भी सेमीकंडक्टर पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने के लिए लगातार प्रोत्साहन दे रही है।


एकीकृत सर्किट (आईसी) और सिस्टम-ऑन-चिप (एसओसी) हर छोटे अथवा बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग होते हैं। लेकिन, ऐसे उपकरण इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज (ईएसडी) के फेल होने के प्रति संवेदनशील होते हैं। अधिकांश आईसी चिप के फेल होने और फील्ड रिटर्न को ईएसडी के फेल के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। यह एक दुर्लभ विशेषज्ञता का क्षेत्र है। इसी कारण, ईएसडी सुरक्षा उपकरणों एवं इंटरफेस अवधारणाओं के डिजाइन का हुनर रखने वाले उद्योग बाजार में अग्रिम पंक्ति में रहते हैं। कम ऊर्जा और उच्च गति से संचालित विश्वसनीय इंटरफेस और सिस्टम-ऑन-चिप (एसओसी) के लिए इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज (ईएसडी) तकनीक में शोध एवं विकास कार्यों को सेमीकंडक्टर नवाचार से संबंधित प्रयासों का एक अभिन्न अंग माना जाता है। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) ईएसडी उपकरण अनुसंधान में दुनिया के चुनिंदा संस्थानों में से एक है।

एसएसआईआर, बेंगलुरु के प्रबंध निदेशक बालाजी सौरीराजन कहते हैं - “हमारा दृष्टिकोण सेमीकंडक्टर नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आईआईएससी में उपलब्ध विशेषज्ञता के साथ-साथ ईएसडी ज्ञान विकसित करने का है। हमारा लक्ष्य स्नातकोत्तर स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमता निर्माण को बढ़ाना, छात्रों के लिए उद्योग इंटर्नशिप करने के अवसर खोलना और युवा शोधकर्ताओं द्वारा उद्यमशीलता के उपक्रमों को प्रोत्साहित करना भी है।”

आईआईएससी के निदेशक प्रोफेसर गोविंदन रंगराजन ने कहा, “हम उन्नत नैनोइलेक्ट्रॉनिक उपकरण अनुसंधान के महत्वपूर्ण क्षेत्र में सैमसंग सेमीकंडक्टर इंडिया रिसर्च के साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित हैं। यह साझेदारी उद्योग-अकादमिक संबंधों को दृढ़ करने की हमारी प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जो आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से प्रभाव डाल सकती है।”

प्रोफेसर मयंक श्रीवास्तव ने कहा है कि "हम उन्नत नैनोइलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकियों पर दुनियाभर में सेमीकंडक्टर उद्योगों के साथ बड़े पैमाने पर सहयोग कर रहे हैं, जिसमें उन्नत एसओसी के लिए ईएसडी विश्वसनीयता से जुड़ी चुनौतियों के समाधान शामिल हैं। हमने ईएसडी सुरक्षा उपकरणों पर मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान किया है, जिसमें तकनीकी नोड्स की एक श्रृंखला में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए व्यावहारिक समाधान बनाने पर जोर दिया गया है।"

आईआईएससी के वक्तव्य में कहा गया है कि इस तरह की साझेदारी से अगली पीढ़ी के हाइपरइंटेलिजेंट उपकरणों के लिए सेमीकंडक्टर नवाचार की वास्तविक क्षमता को विकसित करने के रास्ते खुलेंगे।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/IISc/Semiconductor/HIN/13/02/2023