ऑयल रिफाइनरियों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए नया मॉडल                                                                 

      

प्रो प्रदीप कुमार तिवारी

पेट्रोलियम रिफाइनरी में हीट एक्सचेंजर्स के खराब होने की समस्या बनी रहती है। कार्यप्रणाली और प्रभावी उत्पादन क्षमता बनाये रखने के लिए प्रायः रिफाइनरियों को पूरी तरह शटडाउन करना पड़ता है। शटडाउन के दौरान प्रसंस्करण इकाइयों की जाँच-पड़ताल और उपकरणों के समुचित रखरखाव को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।

एक नई पहल के अंतर्गत उद्योग जगत के भागीदारों के साथ मिलकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर ऑयल और पेट्रोलियम रिफाइनरियों के हीट एक्सचेंजर्स के लिए डेटा पाइपलाइन बना रहा है, और मशीन लर्निंग मॉडल का विकास कर रहा है। इसके लिए आईआईटी जोधपुर और एल्गो8 एआई प्राइवेट लिमिटेड के बीच साझीदारी हुई है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मॉडल ऑयल रिफाइनरियों में हीट एक्सचेंजर के बार-बार खराब होने की समस्या का समाधान देने में सक्षम है, और यह पेट्रोलियम और उससे जुड़े उद्योगों में उपयोगी होगा।

आईआईटी जोधपुर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर प्रदीप कुमार तिवारी कहते हैं कि “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग पद्धति और उसके विश्लेषण तथा मॉडलिंग से रिफाइनरियों के शटडाउन समय को कम किया जा सकता है, और उनके बेहतर रखरखाव को सुनिश्चत किया जा सकता है।


पेट्रोलियम रिफाइनरी में हीट एक्सचेंजर्स के खराब होने की समस्या बनी रहती है। कार्यप्रणाली और प्रभावी उत्पादन क्षमता बनाये रखने के लिए प्रायः रिफाइनरियों को पूरी तरह शटडाउन करना पड़ता है। शटडाउन के दौरान प्रसंस्करण इकाइयों की जाँच-पड़ताल और उपकरणों के समुचित रखरखाव को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।


प्रोफेसर तिवारी के अनुसार आईआईटी जोधपुर केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में आधुनिक मॉडलिंग और कम्प्युटेशन-आधारित जानकारी का भंडार है। वह कहते हैं कि हमारे शोधकर्ता इस तरह की बुनियादी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने में सक्षम हैं। इस अध्ययन में, प्रोफेसर तिवारी के अलावा केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और एसएआईडीई में एफिलिएटेड फैकल्टी डॉ अंगन सेनगुप्ता तथा अन्य शोधार्थी शामिल हैं।

रिफाइनरियों की दक्षता बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं ने हीट एक्सचेंजर नेटवर्क के नियंत्रण और नियमित रखरखाव के लिए डेटा पर आधारित मॉडल तैयार किया है। इसके उपयोग से प्री-हीट ट्रेनों की संपूर्ण और नियमित सफाई सुनिश्चित हो सकेगी, जो अधिक प्रामाणिक होगी। रिफाइनरी संयंत्रों की नियंत्रण व्यवस्था के लिए ग्राफिकल इंटरफेस और इंडस्ट्री मानकों के अनुसार डेटा गुणवत्ता के सुधार में भी मदद मिल सकेगी।

परियोजना के उद्देश्यों में हीट एक्सचेंजर ट्रेनों की स्थिति की नियमित देखरेख, हीट एक्सचेंजर यूनिट के नेटवर्क का आकलन और सफाई के लिए अगली निर्धारित तिथि का सुझाव शामिल है। इससे ग्राफिकल यूजर इंटरफेस से अनुमानित परिणामों को देखा जा सकेगा और यह सत्यापित हो सकेगा कि मॉडल कितना सटीक है। ऑयल रिफाइनरी की साइट पर पर हीट एक्सचेंजर यूनिट के इस मॉडल के आधार पर नियमित रखरखाव का खर्च कम हो सकेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि मॉडल के आधार पर शटडाउन के बाद दोबारा प्रसंस्करण प्रक्रिया शुरू करने में कम समय लगेगा।

साइट पर पर हीट एक्सचेंजर यूनिट के इस मॉडल के आधार पर नियमित रखरखाव का खर्च कम हो सकेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि मॉडल के आधार पर शटडाउन के बाद दोबारा प्रसंस्करण प्रक्रिया शुरू करने में कम समय लगेगा।

डॉ सेनगुप्ता बताते हैं – “वर्तमान केमिकल इंजीनियरिंग में इंडस्ट्री 4.0 की स्थापना में कम्प्युटेशन की भूमिका अहम है। वर्तमान समय में यह सामान्य केमिकल इंजीनियरिंग से बहुत आगे है और प्रसंस्करण उद्योग की नई उभरती चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।”


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/IITJ/Machine-Learning/Eng/19/10/2022