रोगजनक बैक्टीरिया प्रतिरोधी अणुओं की पहचान होगी आसान                                                                 

      

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और यूनिलीवर के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए दो संयुक्त अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया की कोशिका दीवारों के कम्प्यूटेशनल मॉडल विकसित किये हैं। ये कम्प्यूटेशनल मॉडल रोगजनक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम रोजजनक बैक्टीरिया प्रतिरोधी अणुओं की स्क्रीनिंग को तेज कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे रोगजनक बैक्टीरिया प्रतिरोधी अणुओं की पहचान कम समय में की जा सकेगी।

प्रत्येक बैक्टीरिया कोशिका एक झिल्ली से घिरी होती है, जो एक कोशिका भित्ति से घिरी रहती है। एस्चेरिचिया कोली (ई. कोलाई) जैसे कुछ ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति में पेप्टाइड-शुगर कॉम्पलेक्स की पेप्टिडोग्लाइकेन्स नामक परत और एक बाहरी लिपिड झिल्ली होती है। वहीं, स्टैफिलोकोकस ऑरियस (एस. ऑरियस) जैसे अन्य ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति में केवल पेप्टिडोग्लाइकेन्स की कई परतें होती हैं।

रोगाणुरोधी दवाएं कोशिका भित्ति की लिपिड झिल्ली को बाधित करके और पेप्टिडोग्लाइकन परत को अस्थिर करके, अथवा कोशिका भित्ति परतों के माध्यम से जाकर और कोशिका झिल्ली को बाधित करके बैक्टीरिया को मारते हैं। हालांकि, रोगाणुरोधी अणुओं और इन कोशकीय बाधाओं के बीच संपर्क के वास्तविक तंत्र के बारे में वैज्ञानिक समझ सीमित है। आईआईएससी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व पीएचडी छात्र और इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता, प्रद्युम्न शर्मा कहते हैं, "कोशिका आवरण इस पहेली का एक बड़ा हिस्सा है, और इसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।"

इस अध्ययन के एक हिस्से में, शोधकर्ताओं ने एक 'परमाणु मॉडल', एक कंप्यूटर सिमुलेशन बनाया, जो कोशिका दीवार की संरचना को अलग-अलग परमाणुओं के स्तर तक बनाता है। इसमें पेप्टिडोग्लाइकेन्स में शुगर श्रृंखलाओं के आकार, पेप्टाइड्स के उन्मुखीकरण और शून्य आकार के वितरण जैसे मापदंडों को शामिल किया गया है।


भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और यूनिलीवर के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए दो संयुक्त अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया की कोशिका दीवारों के कम्प्यूटेशनल मॉडल विकसित किये हैं। ये कम्प्यूटेशनल मॉडल रोगजनक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम रोजजनक बैक्टीरिया प्रतिरोधी अणुओं की स्क्रीनिंग को तेज कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे रोगजनक बैक्टीरिया प्रतिरोधी अणुओं की पहचान कम समय में की जा सकेगी।


आईआईएससी के शोधकर्ता प्रोफेसर गणपति अयप्पा बताते हैं, "पेप्टिडोग्लाइकन परत की संरचना अर्ध-पारगम्य है। बैक्टीरिया को जिन पोषक तत्वों और प्रोटीनों की आवश्यकता होती है, उन्हें इससे होकर गुजरना पड़ता है।" ये वही रिक्त स्थान हैं, जिनसे रोगाणुरोधी भी गुजरते हैं। आईआईएससी में रिसर्च एसोसिएट और शोधकर्ताओं में शामिल राकेश वैवाला कहते हैं कि एस. ऑरियस की कोशिका दीवार का व्यापक आणविक मॉडल पहली बार पेश किया गया है।

आईआईएससी में सुपरकंप्यूटिंग सुविधा का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने कई ज्ञात सूक्ष्मजीव प्रतिरोधी दवाओं के साथ अपने मॉडल की प्रभावशीलता का परीक्षण किया है। उन्होंने पाया कि इनमें से एक, मेलिटिन, एक छोटा पेप्टाइड, एस. ऑरियस की तुलना में ई. कोलाई कोशिका भित्ति से उच्च दक्षता के साथ बँध सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि मेलिटिन पेप्टाइडोग्लाइकन बायोसिंथेसिस में ट्रांसपेप्टिडेशन प्रक्रिया में शामिल पेप्टाइड्स के साथ इंटरैक्ट करता है, और संभावित रूप से कोशिका भित्ति की एकात्मकता को बाधित कर सकता है। एक छोटे अणु थाइमोल को एस. ऑरियस की कोशिका भित्ति में पेप्टिडोग्लाइकेन्स के पूरे ढेर के माध्यम से तेजी से स्थानांतरित होते हुए भी देखा गया।

एक अन्य अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने ई. कोलाई में पेप्टिडोग्लाइकन परत के माध्यम से विभिन्न सर्फेक्टेंट अणुओं के संचलन की तुलना के लिए अपने मॉडल का उपयोग किया और रोगाणुरोधी प्रभावकारिता के बीच की कड़ी को दिखाया है। शोधकर्ताओं ने दिखाया गया है कि लंबी श्रृंखला वाले सर्फेक्टेंट की तुलना में छोटी श्रृंखला के सर्फेक्टेंट बैक्टीरिया को उच्च दर से मारते हैं।

आईआईएससी के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर जयदीप कुमार बसु के साथ मिलकर शोधकर्ताओं ने ई. कोलाई के अर्क से बनी पुटिकाओं का निर्माण किया और एक माइक्रोस्कोप की मदद से सर्फेक्टेंट के साथ उनकी परस्पर प्रतिक्रिया का अवलोकन किया है।

गणपति अयप्पा बताते हैं, "हमारा लक्ष्य विकसित किये गए कम्प्यूटेशनल मॉडल का उपयोग करके अणुओं की तेज स्क्रीनिंग सुविधा प्रदान करना है, ताकि संभावित रोगाणुरोधी की खोज को आसान बनाने के लिए उन्हें अणुओं के एक छोटे उपसमुच्चय तक सीमित किया जा सके।"


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/IISc/Antimicrobial-Screening/HIN/16/03/2023