“महामारी के बावजूद जमीनी स्तर पर जारी रहीं कुष्ठ से संबंधित सेवाएं”                                                                 

      

महामारी और लोग (फोटोः टीएलएमटीआई)

कोविड-19 महामारी से जूझने की प्रक्रिया में ऐसे और संकट नहीं उभरने देने चाहिए, जो विश्व स्तर पर लगभग एक अरब लोगों को प्रभावित करने वाले उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (Neglected tropical diseases-NTD) की रोकथाम और उन्मूलन के प्रयासों में बाधा बन सकते हैं। विश्व एनटीडी दिवस और विश्व कुष्ठ दिवस पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के पैनल चर्चा में ये विचार उभरकर आये हैं। समुदाय आधारित बेहतर प्रथाओं की पहचान एवं प्रोत्साहन, देखभाल केंद्रों का विकेन्द्रीकरण, और पहले से ही उपेक्षित आबादी की संवेदनशीलता एनटीडी रोगों के प्रति बढ़ाने के लिए जिम्मेदार संरचनात्मक असमानताओं को दूर करने जैसे विचार इस चर्चा में व्यक्त किए गए हैं।

इस अवसर पर, कुष्ठ रोगियों और अन्य दिव्यांग लोगों पर COVID-19 के प्रभावों पर केंद्रित एक रिपोर्ट लॉन्च करते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के उप-महानिदेशक, डॉ अनिल कुमार ने बताया कि महामारी के बावजूद जमीनी स्तर पर कुष्ठ से संबंधित सेवाएं जारी रही हैं। उन्होंने कहा, "पिछले दो वर्षों से हम राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) को अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ताकि कुष्ठ रोग की रोकथाम, और कुष्ठ देखभाल को मुख्यधारा में लाया जा सके। महामारी से, विशेष रूप से स्क्रीनिंग और कुष्ठ मामलों का पता लगाने की दिशा में हमारे प्रयासों पर ब्रेक जरूर लगा है, लेकिन हम फिर से अपनी लय में लौट रहे हैं।”

एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कम एवं मध्यम आय वाले देशों में बड़े पैमाने पर व्याप्त एनटीडी से जुड़ी चुनौतियों पर पैनल चर्चा के दौरान ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनका सामना विविध विषयों और भौगोलिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने दुनिया भर में इन रोगों को रोकने और समाप्त करने में किया है। इस संयुक्त वैश्विक पैनल चर्चा में द लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया (टीएलएमटीआई), सासाकावा हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ), डिसेबल्ड पीपुल्स इंटरनेशनल (डीपीआई) और नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल (एनसीपीईडीपी) के विशेषज्ञ शामिल हैं।


कोविड-19 महामारी से जूझने की प्रक्रिया में ऐसे और संकट नहीं उभरने देने चाहिए, जो विश्व स्तर पर लगभग एक अरब लोगों को प्रभावित करने वाले उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (Neglected tropical diseases-NTD) की रोकथाम और उन्मूलन के प्रयासों में बाधा बन सकते हैं। विश्व एनटीडी दिवस और विश्व कुष्ठ दिवस पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के पैनल चर्चा में ये विचार उभरकर आये हैं। समुदाय आधारित बेहतर प्रथाओं की पहचान एवं प्रोत्साहन, देखभाल केंद्रों का विकेन्द्रीकरण, और पहले से ही उपेक्षित आबादी की संवेदनशीलता एनटीडी रोगों के प्रति बढ़ाने के लिए जिम्मेदार संरचनात्मक असमानताओं को दूर करने जैसे विचार इस चर्चा में व्यक्त किए गए हैं।

डीपीआई इंडिया की उपाध्यक्ष और ओडिशा स्टेट डिसएबिलिटी नेटवर्क की संयोजक श्रुति महापात्रा का मानना है कि समय पर जाँच और उपचार न हो, तो कुष्ठ रोग सहित अधिकांश एनटीडी रोग मरीजों को अक्षम बना सकते हैं। उनका कहना है कि अक्षमता और अगम्यता के बीच एक गहरा संबंध है, और इस तथ्य को महामारी ने उजागर किया है। श्रुति महापात्रा के अनुसार, "हमें एक लचीली व्यवस्था बनाने पर जोर देना चाहिए, और उन कमजोर समुदायों के लिए अनुकूल वातावरण निर्मित करना चाहिए, जो अपने परिवारों पर 'बोझ' बन जाते हैं। ऐसे में, उनकी सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच महत्वपूर्ण हो जाती है, खासकर जब आर्थिक अनिश्चितता उनके परिवारों को बुरी तरह प्रभावित करती है, जिसका जीवन की गुणवत्ता पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।”

महामारी से जुड़े प्रतिबंधों के डर ने लोगों को उनकी स्थिति के बिगड़ने के बावजूद घर के अंदर रहने के लिए मजबूर किया है। द लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ प्रेमल दास कहते हैं- “हमने अनुभव किया है कि लोगों के लिए बीमारी से ग्रस्त होने की दोहरी चिंता को संभालना कितना मुश्किल होता है, और COVID-19 संचरण के प्रतिबंधों और जोखिम के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को जारी रखना कितना कठिन होता है।” उन्होंने मोबाइल थेरेपी क्लीनिक, वीडियो काउंसलिंग और टेली-काउंसलिंग जैसी पहलों का उल्लेख किया, जो उनका संगठन रोग के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए कर रहा है।

पैनल ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि एनटीडी से जुड़ी चुनौतियाँ बहु-आयामी हैं। दवा आपूर्ति में व्यवधान, आजीविका का नुकसान, पौष्टिक भोजन तक सीमित पहुँच, और समय पर देखभाल के सीमित दायरे से कुष्ठ और अन्य एनटीडी से प्रभावित लोगों के बीच तनाव को बढ़ावा मिलता है, जो पहले से ही जटिल चुनौती में एक और आयाम जोड़ता है। सासाकावा हेल्थ फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक डॉ. नानरी ताकाहिरो ने कोविड-19 और कुष्ठ रोग की दोहरी मार से निपटने के लिए अधिक एकीकृत दृष्टिकोण का आह्वान किया है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/ NCPEDP/NTD/HIN/31/01/2022