लिथियम-आयन बैटरी विनिर्माण सुविधा स्थापित करेगा सीएसआईआर                                                                 

      

केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान (सीईसीआरआई), कारैकुडी, तमिलनाडु

म्प्यूटर और मोबाइल फोन के साथ-साथ अन्य उपकरणों में लिथियम आयन बैटरियों का उपयोग एक अनिवार्य आवश्यकता है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए भारत को चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से लिथियम आयन बैटरियों का आयात करना पड़ता है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अब चेन्नई में लिथियम-आयन बैटरी निर्माण सुविधा का निर्माण कर रहा है। सीएसआईआर की इस पहल से लिथियम बैटरियों के आयात पर भारत की निर्भरता कम करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

तमिलनाडु के कारैकुडी में स्थित सीएसआईआर की घटक प्रयोगशाला केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान (सीईसीआरआई) द्वारा लिथियम आयन बैटरी विनिर्माण की यह सुविधा तारामणि (चेन्नई) स्थित सीएसआईआर मद्रास कॉम्पलैक्स में स्थापित की जा रही है। सीएसआईआर-सीईसीआरआई इलैक्ट्रोकेमिस्ट्री के क्षेत्र में कार्यरत एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थान है।

बताया जा रहा है कि वर्तमान में उपयोग की जाने वाली ली-आयन बैटरियों की तुलना में इस संयंत्र में निर्मित बैटरियों का जीवनकाल लगभग 5 से 10 गुना अधिक होगा। मौजूदा बैटरियों की तुलना में यहाँ निर्मित होने वाली बैटरियाँ आकार में भी छोटी होंगी।


सीएसआईआर के शोधकर्ता ली-आयन बैटरी में उपयोग किए जाने वाले दुर्लभ धातु-तत्त्वों के निष्कर्षण की भी देख-रेख कर रहे हैं। डॉ श्रीराम ने कहा है कि “दक्षिण भारत के हमारे अधिकांश समुद्र तटों में मोनाज़ाइट रेत है, जो दुर्लभ मृदा-धातुओं का एक अच्छा स्रोत है। अपनी विनिर्माण-क्षमता में वृद्धि के लिए हम भारत में ही उसकी सामग्री का स्रोत बनाने में सक्षम होंगे।”


सीईसीआरआई के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) डॉ के.जे. श्रीराम ने कहा है कि "मूल रूप से नई प्रौद्योगिकी होने के कारण, हम इसे उद्योगों के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शित करना चाहते हैं, ताकि उन्हें इस प्रौद्योगिकी को अपनाने में कोई कठिनाई न हो।"

सीएसआईआर के शोधकर्ता ली-आयन बैटरी में उपयोग किए जाने वाले दुर्लभ धातु-तत्त्वों के निष्कर्षण की भी देख-रेख कर रहे हैं। डॉ श्रीराम ने कहा है कि “दक्षिण भारत के हमारे अधिकांश समुद्र तटों में मोनाज़ाइट रेत है, जो दुर्लभ मृदा-धातुओं का एक अच्छा स्रोत है। अपनी विनिर्माण-क्षमता में वृद्धि के लिए हम भारत में ही उसकी सामग्री का स्रोत बनाने में सक्षम होंगे।”

यह संयंत्र, जिसके वर्ष 2024 तक तैयार होने की उम्मीद है, एक दिन में लगभग 1,000 बैटरी की उत्पादन-क्षमता से लैस होगा। इस विनिर्माण सुविधा केंद्र में उत्पादित बैटरियाँ मुख्य रूप से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स अनुप्रयोगों पर केंद्रित होंगी।

बताया जा रहा है कि सीएसआईआर उद्योगों को इस प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित करने और प्लग-एंड-प्ले सेवा की पेशकश करने के लिए इस सुविधा में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है।

वर्तमान में, सीएसआईआर-सीईसीआरआई अपनी ली-आयन बैटरी फैब्रिकेशन सुविधा में राजस्व साझाकरण मॉडल के साथ एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के अंतर्गत कार्य कर रहा है। इसे सीएसआईआर इनोवेशन सेंटर फॉर नेक्स्ट जेनरेशन एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस (ICeNGESS) के रूप में स्थापित किया गया है, जिसमें प्रतिदन 100 बैटरी उत्पादन की क्षमता है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/CSIR-CECRI/HIN/26/10/2022