नवोदित लेखकों के लिए विज्ञान संचार से जुड़ी नई पुस्तक

धुनिक हाइटेक युग में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ी विभिन्न खोजों और वैज्ञानिक नवाचारों से जुड़ी जानकारियां जनमानस के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। इस तरह की सूचनाओं के प्रसार के जरिये लोगों में विज्ञान के प्रति रुचि और पैदा करने में विज्ञान संचार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

विकासशील देशों में मीडिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी सूचनाओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। विज्ञान और समाज के मध्य दूरी बढ़ने से दोनों का ही भला नहीं हो सकता। इस खाई को भरने में विज्ञान पत्रकारिता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि, मीडिया में विज्ञान संबंधी कवरेज की कमी के प्रमुख कारणों में विज्ञान लेखन एवं पत्रकारिता संबंधी प्रशिक्षण में कमी को भी जिम्मेदार माना जाता है। इस कमी को दूर करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार द्वारा 'हैंडबुक ऑफ साइंस जर्नलिज्म' नामक पुस्तक का प्रकाशन एक अच्छा प्रयास कहा जा सकता है।

अभय एस.डी. राजपूत द्वारा लिखित यह पुस्तक उन भावी विज्ञान पत्रकारों एवं संचारकों को व्यावहारिक सलाह और सुझाव प्रदान करती है जो दैनिक जीवन में छिपे वैज्ञानिक रहस्यों को तलाशकर सरल भाषा और रोचक तरीके से आम जनता से साझा करना चाहते हैं।

लोकप्रिय विज्ञान लेखन के लिए सामान्य पत्रकारिता ज्ञान के अलावा अतिरिक्त विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। इस पुस्तक में, राजपूत इन आवश्यकताओं के बारे में जागरूक प्रतीत होते हैं। यह पुस्तक 15 अध्यायों में विभाजित की गई है जो विज्ञान पत्रकारिता में करियर बनाने के लिए इच्छुक लोगों को प्रासंगिक विषयों के साथ विज्ञान पत्रकारिता और उससे संबंधित अंतर्दृष्टि विकसित करने में सहायक हो सकती।

आरंभिक अध्याय विज्ञान पत्रकारिता के परिचय से संबंधित हैं, जिसमें विज्ञान पत्रकारिता को पत्रकारिता की तेजी से विकसित होती शाखा बताया गया है। इसमें बताया गया है कि विज्ञान पत्रकारिता समाज को विज्ञान के करीब लाने में किस तरह योगदान दे सकती है। प्रारंभिक अध्याय में चर्चा की गई है कि कैसे विज्ञान पत्रकारिता भारत जैसे विकासशील देश को ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद कर सकती है। पुस्तक में इस विधा में भारत में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और करियर विकल्पों की जानकारी भी शामिल है।




इस पुस्तक के अन्य अध्यायों में विज्ञान समाचार लेखन, विज्ञान रिपोर्टिंग और शोध, विज्ञान पत्रकारिता, विज्ञान संपादन, क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान पत्रकारिता और स्वतंत्र विज्ञान पत्रकारिता आदि शामिल हैं। ऐसे विषय विज्ञान पत्रकारों के लिए उपयोगी हो सकते हैं। विज्ञान समाचारों की लेखन कला को एक अध्याय में विस्तार से बताया गया है। विज्ञान समाचारों को परिभाषित करते हुए सरल भाषा में विज्ञान समाचारों को लिखने के लिए आवश्यक तत्वों का उल्लेख किया गया है।

पुस्तक के अध्याय-3 में अच्छी विज्ञान कॉपी तैयार करने के तरीके पर व्यावहारिक सलाह और सुझाव दिए गए हैं। इस अध्याय में समाचारों के विभिन्न प्रकारों, समाचार के तत्वों और उससे जुड़े मूल्यों सहित विज्ञान समाचार के संरचनात्मक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी है। इसी तरह, अध्याय-6 में अनुसंधान कार्यों, विज्ञान के विवादित विषयों आदि गंभीर विषयों पर लेखन करने के लिए आवश्यक जानकारियां हैं।

विज्ञान पत्रकारिता के अंतर्गत साक्षात्कार विधा पर एक अध्याय काफी जानकारीपूर्ण है। इसमें विभिन्न प्रकार के साक्षात्कारों को आयोजित करने, नियंत्रित करने और साक्षात्कारों से संबंधित प्रश्नों पर काफी उपयोगी जानकारी है। एक अध्याय विज्ञान सामग्री संपादन कला पर पर केंद्रित है। इस अध्याय में लोकप्रिय मीडिया में विज्ञान को संपादित करने संबंधी जानकारियां हैं।

एक अन्य अध्याय में वैज्ञानिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग के लिए आरंभिक शोध के महत्व की प्रक्रिया को समझाने के अलावा समाचार एकत्र करने पर चर्चा की गई है। अध्याय 5 में, विज्ञान समाचार के विभिन्न स्रोतों और उनके वर्गीकरण संबंधी चार समूहों प्राथमिक, माध्यमिक, तृतीयक और चतुर्थक पर चर्चा की गयी है। इस अध्याय में संक्षेप में समाचारों के विभिन्न स्रोतों के बारे में बात की गयी है और संभावित विज्ञान समाचारों की पहचान के लिए इनका उपयोग करने के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी है।

पुस्तक में समाचारों के अलावा विज्ञान लेखन की अन्य विधाओं, जैसे- आलेख, संपादकीय, कॉलम और समीक्षाओं पर काफी जानकारी मिल सकती है। विज्ञान पत्रकारिता और लेखन के इन रूपों से परिचित कराने के साथ ही सार्थक जानकारी भी इस पुस्तक में दी गई है।

एक अन्य अध्याय पत्रकारिता के लिए अनुवाद पर केंद्रित है। इसके अलावा, क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान पत्रकारिता के माध्यम से विज्ञान को प्रसारित करने पर सामग्री दी गई है। पुस्तक में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि विज्ञान पत्रकारों के लिए आम पत्रकारिता नैतिकता के अलावा विज्ञान को रिपोर्ट करने के लिए विशिष्ट नैतिकता के कुछ सिद्धांतों का पालन करना महत्वपूर्ण है। पुस्तक का अंतिम अध्याय विज्ञान पत्रकारिता के लिए जरूरी नैतिकता और आचरण संहिता पर आधारित है।

यह पुस्तक विज्ञान पत्रकारिता में करियर की तलाश करने वाले लोगों के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत हो सकती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित संस्थानों में विज्ञान संचार और प्रचार-प्रसार में लगे लोग भी इस पुस्तक से लाभान्वित हो सकते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की 'शोध की अभिव्यक्ति के लिए लेखन कौशल को प्रोत्साहन' (अवसर) नामक परियोजना में रुचि रखने वाले शोधार्थियों सहित सभी विज्ञान प्रेमियों के लिए काफी उपयोगी हो सकती है। (इंडिया साइंस वायर)

    पुस्तक का नाम : हैंडबुक ऑफ साइंस जर्नलिज्म
    लेखक : अभय एस डी राजपूत
    पृष्ठ : 233
    मूल्य : 190
    प्रकाशक : विज्ञान प्रसार, ए-50, सेक्टर -62, नोएडा-201309 (उत्तर प्रदेश)