विज्ञान समागम में दिखेगी बड़ी विज्ञान परियोजनाओं की झलक                                                                 

      

भारत कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विज्ञान परियोजनाओं में शामिल है, जिसके बारे में जागरूकता के प्रसार के लिए बेंगलूरू के विश्वेश्वरैया औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकीय संग्रहालय में एक व्यापक प्रदर्शनी की शुरूआत की गई है। देश के चार प्रमुख महानगरों- मुंबई, बेंगलूरू, कोलकाता और नई दिल्ली में आयोजित की जाने वाली यह प्रदर्शनी 11 महीने तक चलेगी।

यह प्रदर्शनी सात बड़ी विज्ञान परियोजनाओं पर आधारित है, जिसमें भारत सहित कई देश शामिल हैं। इन परियोजनाओं में भारत स्थित न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी (आईएनओ), यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न), फैसिलिटी फॉर एंटीप्रोटोन आयन रिसर्च (फेयर), इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आइटर), लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी (लिगो), थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी) और स्क्वायर किलोमीटर एरे (एसकेए) शामिल हैं।

शुरुआती दो दिनों में विज्ञान प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत के प्रख्यात वक्ताओं द्वारा वार्ता और व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे। फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर के माध्यम से इन कार्यक्रमो की लाइव-स्ट्रीमिंग भी की जाएगी। छात्रों के लिए प्रश्नोत्तरी, निबंध लेखन, ड्राइंग प्रतियोगिता और विज्ञान जागरूकता साइक्लोथॉन जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद ने मिलकर इस प्रदर्शनी का आयोजन किया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, डॉ. आशुतोष शर्मा ने कहा कि "बड़ी विज्ञान परियोजनाओं का बहुत महत्व है क्योंकि इससे भारतीय वैज्ञानिकों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों से जुड़ने में मदद मिलती है। इन परियोजनाओं के लिए उच्च किस्म के डिजाइन किए हुए परिष्कृत उपकरणों के विकास की आवश्यकता पड़ती है, जिसके कारण उद्योग तथा व्यापार क्षेत्र में अनुसंधान और विकास कार्यों को भी लाभ होता है।"


" दुनिया की बड़ी विज्ञान परियोजनाओं में भारत के शामिल होने के बावजूद उनके बारे आम लोगों को जानकारी बहुत कम है। इस तरह की गतिविधियों से शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, छात्रों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत समेत समाज के विभिन्न लोगों को इन परियोजानाओं के महत्व से परिचय कराने में मदद मिल सकती है। "

प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि "दुनिया की बड़ी विज्ञान परियोजनाओं में भारत के शामिल होने के बावजूद उनके बारे आम लोगों को जानकारी बहुत कम है। इस तरह की गतिविधियों से शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, छात्रों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत समेत समाज के विभिन्न लोगों को इन परियोजानाओं के महत्व से परिचय कराने में मदद मिल सकती है। विज्ञान समागम कार्यक्रम विज्ञान के उत्साह को जमीनी स्तर तक ले जाने में मददगार हो सकता है, जिससे बड़ी संख्या में युवा विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने के लिए आकर्षित हो सकते हैं।"

विज्ञान समागम नामक इस प्रदर्शनी का यह दूसरा संस्करण है, जिसमें पोस्टर गैलेरी, मॉडल्स, ऑडियो-विजुअल कार्यक्रमों, इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले और इंटरैक्टिव कियोस्क के जरिये विज्ञान परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी गई है। विज्ञान समागम के दूसरे संस्करण में एक और वैज्ञानिक परियोजना, लद्दाख के हानले में स्थापित मेजर एटमॉस्फेरिक सेरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप (मेस) को भी जोड़ा गया है। इस तरह, बेंगलूरू में आयोजित प्रदर्शनी में कुल आठ बड़ी विज्ञान परियोजनाओं को दर्शाया गया है।

इस प्रदर्शनी में इन परियोजनाओं से जुड़े वैज्ञानिक प्रयासों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया गया है। हिग्स पार्टिकल की खोज से लेकर न्यूट्रॉन सितारों तथा ब्लैकहोल्स के विलय से निकली गुरुत्वाकर्षण तरंगें इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं, जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति और इसके विकास के विभिन्न चरणों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों पर प्रकाश डालती हैं।

इस अवसर पर मौजूद परमाणु ऊर्जा विभाग के पूर्व सचिव, डॉ. अनिल काकोडकर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव डॉ वी.एस. राममूर्ति और नेहरू विज्ञान केंद्र के निदेशक शिवप्रसाद खेनेड़ ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी बनाने के लिए बड़े विज्ञान कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

इस प्रदर्शनी की शुरुआत 8 मई को मुंबई के नेहरू साइंस सेंटर में हुई थी, जो दो महीने चली थी। दूसरे चरण में, यह प्रदर्शनी विश्वेश्वरैया औद्योगिक और प्रौद्योगिकी संग्रहालय में 29 जुलाई से 28 सितंबर तक चलने वाली है। इसके बाद, यह प्रदर्शनी कोलकाता के साइंस सिटी में 4 नवंबर से 31 दिसंबर तक चलेगी। इस अभियान का चौथा और आखिरी पड़ाव राजधानी दिल्ली में आकर खत्म होगा। नई दिल्ली के राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र में अगले वर्ष 21 जनवरी से 30 मार्च तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।
इंडिया साइंस वायर