स्वदेशी ‘स्वस्थवायु’ वेंटिलेटर को नियामक मंजूरी                                                                 

      

‘स्वस्थवायु ’ वेंटिलेटर

कोविड-19 संक्रमण उभरने के साथ ही पिछले वर्ष इस महामारी से निपटने के प्रयास भी जोर-शोर से शुरू हो गए थे। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के ऐसे ही प्रयासों के अंतर्गत सीएसआईआर-नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी (एनएएल), बंगलूरू एवं सीएसआईआर-जीनोमिकी और समवेत जीवविज्ञान संस्थान (आईजीआईबी), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने ‘स्वस्थवायु’ नामक वेंटिलेटर विकसित किया है। इस वेंटिलेटर को अब नियामक मंजूरी मिल गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा हाल में जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है।

स्वस्थवायु वेंटिलेटर, बाय-लेवल मोड (BiPAP), कॉन्टिन्यूअस पॉजिटिव एयर-वे मोड (CPAP), स्पॉन्टैनिअस मोड्स और नॉन वेंटिलेडिट मास्क से जुड़े 3डी प्रिंटेड हेपा-टी फिल्टर एडॉप्टर जैसी खूबियों से लैस है। इस उपकरण में ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर को बाहर से भी जोड़ा जा सकता है। यह उपकरण महामारी के बाद भी विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी हो सकता है, जिनमें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया और अन्य स्लीप एप्निया जैसी अनिद्रा से जुड़ी बीमारियां शामिल हैं।

वेंटिलेटर की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन स्वास्थ्य सेवाएं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के महानिदेशक द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा किया गया है। विशेषज्ञ समिति इस वेंटिलेटर के मूल्यांकन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँची है कि ‘स्वस्थवायु’ का उपयोग कोविड-19 के ऐसे रोगियों पर किया जा सकता है, जिन्हें 35% तक पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसे नेशनल एक्रेडटैशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग ऐंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज (एनएबीएल) के इलेक्ट्रिकल सुरक्षा, कार्यप्रणाली, मूल्यांकन और जैव-अनुकूलता से जुड़े कड़े परीक्षणों में प्रभावी पाया गया है। ‘स्वस्थवायु’ का चिकित्सीय परीक्षण 50 मरीजों पर कमांड हॉस्पिटल, बेंगलूरू और मैसूर मेडिकल कॉलेज ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में किया गया है, जिसमें इसे प्रभावी पाया गया है।


स्वस्थवायु वेंटिलेटर, बाय-लेवल मोड (BiPAP), कॉन्टिन्यूअस पॉजिटिव एयर-वे मोड (CPAP), स्पॉन्टैनिअस मोड्स और नॉन वेंटिलेडिट मास्क से जुड़े 3डी प्रिंटेड हेपा-टी फिल्टर एडॉप्टर जैसी खूबियों से लैस है। इस उपकरण में ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर को बाहर से भी जोड़ा जा सकता है। यह उपकरण महामारी के बाद भी विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी हो सकता है, जिनमें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया और अन्य स्लीप एप्निया जैसी अनिद्रा से जुड़ी बीमारियां शामिल हैं।

इसे विकसित करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह वेंटिलेटर कोविड-19 समेत अन्य श्वसन संबंधी रोगों के उपचार में मददगार हो सकता है। इसका उपयोग आईसीयू में बिना चीरफाड़ वाली चिकित्सा परिस्थितियों में भी किया जा सकता है। ‘स्वस्थवायु’ वेंटिलेटर को एनएएल के वैज्ञानिकों ने बंगलूरू के मणिपाल हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञ डॉ सत्यनारायण और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल के साथ मिलकर विकसित किया है। इस उपकरण का परीक्षण कृत्रिम फेफड़े के मॉडल पर किया गया है।

‘स्वस्थवायु’ वेंटिलेटर के व्यावसायिक उत्पादन के लिए सीएसआईआर-एनएएल ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) दर्जे की छह कंपनियों से करार किया है। इनमें से एक कंपनी ने अपनी उत्पादन इकाई स्थापित कर दी है, जो हर सप्ताह लगभग 300 उपकरणों का उत्पादन कर रही सीएसआईआर-एनएएल को को हाल में दिल्ली सरकार से 1200 ‘स्वस्थवायु’ वेंटिलेटर की आपूर्ति करने का ऑर्डर मिला है। दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में इन वेंटिलेटर्स का उपयोग किया जाना है।

कोविड-19 के शुरुआती दौर में ही वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने इस महामारी से निपटने के लिए पाँच सूत्रीय एजेंडा पर काम करना शुरू कर दिया था। इसमें संक्रमण के खतरे और उसकी प्रकृति को समझने के लिए आणविक स्तर पर निगरानी, किफायती जाँच किट निर्माण, दवाओं का विकास, अस्पतालों व निजी सुरक्षा उपकरणों का विकास और चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। इस पहल के अंतर्गत देश में वेंटिलेटर की कमी दूर करने के लिए भी एक मुहिम शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत ‘स्वस्थवायु’ का निर्माण किया गया है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/07/01/2021

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