समावेशी और सुरक्षित शहरों के निर्माण के लिए नई पहल                                                                 

      

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आईआईटी, खड़गपुर और एनआईयूए के बीच यह साझेदारी समावेशी और सुरक्षित शहरों के निर्माण के लिए की गई है। इस समझौते का लक्ष्य ऐसे शहरों के निर्माण की रूपरेखा विकसित करना है, जो हर आयु-वर्ग, दिव्यांग-जनों और हर पेशे से जुड़े लोगों के लिए सामान रूप से सुगम व सुरक्षित हों।

आईआईटी, खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वीरेन्द्र के तिवारी ने कहा है कि भारत एक युवा देश है, जिसकी जनसंख्या में वर्ष 2019 तक हर साल एक प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होती है। जनसंख्या वृद्धि के ये आंकड़े भारत में आवास-निर्माण और नगर-योजना में निरंतर विकास की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIFR) की रैंकिंग के अनुसार आईआईटी, खड़गपुर का डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर ऐंड रीजनल प्लानिंग, आर्किटेक्चर के क्षेत्र में देश का एक बेहतरीन स्कूल है।


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आईआईटी, खड़गपुर और एनआईयूए के बीच यह साझेदारी समावेशी और सुरक्षित शहरों के निर्माण के लिए की गई है। इस समझौते का लक्ष्य ऐसे शहरों के निर्माण की रूपरेखा विकसित करना है, जो हर आयु-वर्ग, दिव्यांग-जनों और हर पेशे से जुड़े लोगों के लिए सामान रूप से सुगम व सुरक्षित हों।

आईआईटी, खड़गपुर के डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर एंड रीजनल प्लानिंग विभाग के प्रोफेसर सुब्रत चट्टोपाध्याय ने बताया कि अनेक कानून, दिशा-निर्देशों और डिजाइन मानकों की समीक्षा, वैश्विक चलन और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अध्ययन करने के बाद, आईआईटी, खड़गपुर सबके किये अनुकूल शहरों के लिए एक रूपरेखा का प्रस्ताव करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकलांग लोगों, बुजुर्गों और माता-पिता सहित बच्चे, परिवहन सेवाओं और शहरी सुविधाओं को प्राप्त कर सके और साथ ही उनमें आजीविका, मनोरंजन और सूचना प्राप्त करने के साधन भी उपलब्द्ध हों।

योजना- क्रियान्वयन से पहले क्षेत्र की सुरक्षा, वहां तक पहुंच और क्षेत्र में मौजूद हरियाली के साथ-साथ उस क्षेत्र में पानी, बिजली, जलवायु, परिवहन, कनेक्टिविटी आदि सुविधाओं को ध्यान में रखा जाएगा।

डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर ऐंड रीजनल प्लानिंग विभाग में प्रोफेसर हैमंती बनर्जी ने कहा कि दिव्यांग और बुजुर्ग, संवेदी, मनोवृत्ति, संज्ञानात्मक, शारीरिक और आर्थिक बाधाओं के कारण समाज में प्रायः भेदभाव और अलगाव का सामना करते हैं। इन सभी को ध्यान में रखकर शहर- निर्माण का फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा। इसके लिए जमीनी स्तर पर जानकारी एकत्र की जाएगी।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए), शहरी और क्षेत्रीय विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन दिशानिर्देशों के माध्यम से क्षेत्रीय विकास, स्थायी आवास, भूमि उपयोग, समावेशी नियोजन और परिवहन एकीकरण जैसे नए उभरते पहलुओं के नियोजन, आपदा प्रबंधन अवधारणाओं को समर्पित एक राष्ट्रीय संस्थान है।


इंडिया साइंस वायर

ISW/AP/HIN/04/02/2021

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