आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप ने लॉन्च की रोगाणु-रोधी पेयजल बोतलें                                                                 

      

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे संस्थान नवीनतम विचारों पर आधारित स्टार्टअप कंपनियों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। स्टार्टअप कंपनियों द्वारा अनेक नवाचारी एवं उपयोगी उत्पाद बाजार में लगातार उतारे भी जा रहे हैं। इसी कड़ी में काम करते हुए आईआईटी दिल्ली द्वारा इनक्यूबेटेड स्टार्टअप कंपनी ‘नैनोसेफ सॉल्यूशन्स’ ने रोगाणु-रोधी पानी की बोतलों की एक नयी श्रृंखला विकसित की है। पानी की ये नयी बोतलें ताँबे के सूक्ष्मजीव-रोधी गुणों पर आधारित हैं। इन रोगाणु-रोधी पेयजल बोतलों को एक्यूक्योर (AqCure) के नाम से लॉन्च किया गया है।

एक्यूक्योर एक पेटेंट तकनीक है, जिसमें पॉलीमर मैट्रिक्स से सक्रिय नैनो-ताँबा उत्सर्जित होता है। उत्सर्जित ताँबा बोतल की बाहरी और आंतरिक सतह को सूक्ष्मजीव-रोधी बनाता है। ताँबे का संपर्क रोगाणुओं के संचरण को कम करता है और संग्रहीत पानी को सूक्ष्मजीवों से सुरक्षित बनाता है। एक मान्य सीमा के भीतर पानी में उत्सर्जित ताँबा संग्रहीत पानी को पोषित करता है। उल्लेखनीय है कि तांबा भी एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है।

आईआईटी दिल्ली की पूर्व छात्रा और नैनोसेफ सॉल्यूशन्स की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अनसूया रॉय ने बताया कि “आईएसओ और एएसटीएम मानकों के अनुसार एक्यूक्योर कंटेनरों में 99.99% सूक्ष्मजीव प्रतिरोधी, 99.99% फफूंद-रोधी और 99% से अधिक वायरस-रोधी गतिविधि का सफल परीक्षण किया गया है। ये कंटेनर बिस्फेनॉल-ए (बीपीए)/ बिस्फेनॉल-एस (बीपीएस) मुक्त हैं और इन्हें उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य ग्रेड प्लास्टिक पॉलिमर से बनाया गया है, जो घर और कार्यालय में उपयोग के लिए पूरी तरह उपयुक्त हैं।”


आईआईटी दिल्ली द्वारा इनक्यूबेटेड स्टार्टअप कंपनी ‘नैनोसेफ सॉल्यूशन्स’ ने रोगाणु-रोधी पानी की बोतलों की एक नयी श्रृंखला विकसित की है। पानी की ये नयी बोतलें ताँबे के सूक्ष्मजीव-रोधी गुणों पर आधारित हैं। इन रोगाणु-रोधी पेयजल बोतलों को एक्यूक्योर (AqCure) के नाम से लॉन्च किया गया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार बिस्फेनॉल-ए (बीपीए), एक एस्ट्रोजेन जैसा रसायन है, जिसका उपयोग पुन: प्रयोज्य प्लास्टिक उत्पाद बनाने में होता है। बच्चों की बोतलें, बच्चों के सिप्पी कप और खाद्य उत्पादों को रखने वाले प्लास्टिक कंटेनर बनाने में भी इसका उपयोग होता है। जबकि, बिस्फेनॉल-एस (बीपीएस) का उपयोग तेजी से सूखने वाले एपॉक्सी गोंद और जंग अवरोधक के रूप में किया जाता है। आमतौर पर बहुलक प्रतिक्रियाओं में एक अभिकारक के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।

एक्यूक्योर बहुलक मास्टरबैच (सक्रिय नैनो-ताँबा के साथ मिश्रित पॉलिमर), विभिन्न वाहक पॉलिमर पर आधारित कण भी उपलब्ध हैं, जो कि अंतिम उत्पादों को सूक्ष्मजीव प्रतिरोधी बनाने के लिए बहुलक मोल्डिंग और एक्सट्रूजन संचालन में उपयोग में लाये जा सकते हैं। इस अवधारणा को जैव प्रौद्योगिकी अनुदान भी मिला है, जो भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत कार्यरत जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा प्रायोजित है।

एक्यूक्योर कंटेनर विभिन्न भंडारण क्षमता और आकार में उपलब्ध हैं। इस श्रृंखला में 700 मिलीलीटर भंडारण क्षमता वाली लघु आकार की बोतलों से लेकर घरों में उपयोग किए जाने वाली एक लीटर क्षमता वाली रेफ्रिजरेटर की बोतलें शामिल हैं। इसी श्रृंखला में पेयजल भंडारण और वितरण के लिए उपयुक्त 10-20-लीटर क्षमता वाले "बबल टॉप्स" और "वाटर कैन" भी उपलब्ध हैं।

आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल एवं फाइबर इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर और नैनोसेफ सॉल्यूशन्स की मेंटर डॉ. मंगला जोशी ने कहा है कि “स्वच्छ पेयजल की हर समय उपलब्धता आज भी एक चुनौती है। ग्रामीण और शहरी गरीब इलाकों में यह स्थिति विशेष रूप से देखने को मिलती है। गंदा पेयजल कई जानलेवा वायरस और बैक्टीरिया का प्रमुख स्रोत होता है, जो पिछली कई महामारियों का कारण भी रह चुका है। हमें उम्मीद है कि एक्यूक्योर लोगों तक स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल पहुँचाने में और एक स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने के साथ ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने में भी मदद करेगा।”


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/09/10/2020

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