नैनोफार्मास्युटिकल के मूल्यांकन के लिए दिशा-निर्देश जारी                                                                 

      

भारत में नैनोफार्मास्युटिकल के मूल्यांकन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं ।

इन दिशा-निर्देशों को जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन ने मिलकर विकसित किया है और इसके लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने अंतर-मंत्रालय सहयोग और समन्वय किया ।

नैनो-आधारित ड्रग डिलीवरी एक उभरता हुआ क्षेत्र है और यह बाजार में नैनोफार्मास्युटिकल के प्रचलन से संबंधित है। नैनोफार्मुलेशन अधिक दक्ष, कम हानिकारक और पारंपरिक दवाओं से अधिक सुरक्षित माने जाते हैं ।


नैनो-आधारित ड्रग डिलीवरी एक उभरता हुआ क्षेत्र है और यह बाजार में नैनोफार्मास्युटिकल के प्रचलन से संबंधित है। नैनोफार्मुलेशन अधिक दक्ष, कम हानिकारक और पारंपरिक दवाओं से अधिक सुरक्षित माने जाते हैं ।

भारतीय अनुसंधानकर्ताओं को नियामक दिशा-निर्देशों के अनुरूप अनुसंधान करने में सहायता मिलेगी और उत्पाद विकास और वाणिज्यीकरण में भी इससे सहायता मिलेगी । इसके अलावा, नियामक प्रणाली को इन दिशा-निर्देशों से मजबूती मिलने के कारण निजी निवेश भी आकर्षित किया जाएगा।

केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने नई दिल्ली में एक समारोह में बताया कि ये दिशा-निर्देश नवीन नैनोफार्माक्युलेशन की गुणवत्ता, सुरक्षा और कुशलता के मूल्यांकन को निरुपित करने के अत्यंत महत्वपूर्ण कदमों में से एक । उन्होंने कहा कि इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य भारत में नोफार्मास्युटिकल के लिए पारदर्शी, सतत और संभावित नियामक मार्ग दिखाना है।

इन दिशा-निर्देशों से नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित नए उत्पादों की स्वीकृति देने के समय नियामक प्रणाली को निर्णय लेने में आसानी होगी और इसी तरह अनुसंधाकर्ता भी अपने उत्पाद को बाजार में शुरू करने के लिए स्वीकृति ले सकेंगे। इनसे उत्पादों का उपयोग करने वालों को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें दिशा-निर्देशों के अनुरूप बाजार में गुणवत्ता आश्वस्त उत्पाद मिल सकेंगे। इन दिशा-निर्देशों से कृषि उत्पादों, सौंदर्य प्रसाधनों, नैनो टैक्नोलॉजी के माध्यम से प्रत्यर्पित किए जाने वाले उपकरणों जैसे क्षेत्रों में भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
इंडिया साइंस वायर