भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा बैक्टिरिया को मारने का नया तरीका

डॉ. स्वाति सुबोध

नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों ने नैनो-कंपोजिट्स नामक एक गैर-जैविक पदार्थ की मदद से बैक्टिरिया से होने वाले संक्रमण के इलाज के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है, जो परंपरागत एंटी-बायोटिक दवाओं का विकल्प बन सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी मदद से दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके बैक्टिरिया को भी निशाना बनाया जा सकता है।

किसी संक्रामक बीमारी के उपचार के लिए आमतौर पर एंटी-बायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, पर उपयुक्तक तरीके से दवा का उपयोग न होने से बैक्टिरिया में उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता वि‍कसित हो जाती है। बैक्टिरिया के संक्रमण का वै‍कल्पि‍क इलाज खोजने में जुटे भारतीय एवं ऑस्ट्रेालियाई शोधकर्ताओं ने पाया है कि नैनो-कंपोजिट्स के जरिये प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके बैक्टिरिया को भी आसानी से नष्ट् किया जा सकता है।

इनैनो-कंपोजिट्स हाइब्रिड पदार्थ हैं, जो चांदी के सूक्ष्मर कणों और ग्रेफीन से बने होते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये बैक्टिरिया के विकास को रोक देते हैं। सामान्यच दवाओं की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स बैक्टिरिया की कोशिकाओं के विभिन्ना हिस्सोंक को एक साथ निशाना बनाकर उन्हें् मार देते हैं। वहीं, चांदी के सूक्ष्मा कण बैक्टिरिया के श्वंसन तंत्र और ऊर्जा पैदा करने वाले तंत्र को बाधित कर देते हैं।

" बैक्टिरिया संक्रमण के उपचार के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग होने वाली एंटी-बायोटिक दवा नाइट्रोफ्यूरैंटॉइन की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स को अधिक प्रभावी पाया गया है। हालांकि, इसका परीक्षण अभी लैब में विकसित बैक्टिरिया पर किया गया है"

चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेिलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोिलॉजी, कॉमनवेल्था साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न ऑस्ट्रे लिया के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह अध्यसयन किया है। अध्यियन के प्राथमिक नतीजे साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

बैक्टिरिया संक्रमण के उपचार के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग होने वाली एंटी-बायोटिक दवा नाइट्रोफ्यूरैंटॉइन की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स को अधिक प्रभावी पाया गया है। हालांकि, इसका परीक्षण अभी लैब में विकसित बैक्टिरिया पर किया गया है, पर वैज्ञानिकों को उम्मीाद है कि नैनो-कंपोजिट्स कई परंपरागत बैक्टिरिया-रोधी दवाओं का विकल्प बन सकते हैं।

नैनो-कंपोजिट्स के सटीक असर को लेकर अभी भी परीक्षण चल रहे हैं। पूर्व एवं ताजा अध्युयनों में नैनो-कंपोजिट्स के घटकों के व्यवधान तंत्र के बारे में बताया जा चुका है, जिसके आधार पर इसके संयुक्तट प्रभाव का आकलन किया गया है।

अध्यकयनकर्ताओं की टीम में कार्तिका प्रसाद, जी.एस. लक्ष्मीे, कोला ओस्तयरीकोव, वैनिसा लुसिनी, जेम्सय ब्लिंको, मंदाकिनी मोहनदास, क्रैसिमीर वैसिलेव, स्टी वन बॉटल, कैटेरिना बैजेका और कोस्तकया ओत्य रीकोव शामिल थे। (India Science Wire)

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