आईआईटी गुवाहाटी ने विकिसित की नई पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकी                                                                 

      

अस्थिर माध्यम से सूचना स्थानांतरण को दर्शाती प्रस्तावित फ्री-स्पेस ऑप्टिकल संचार प्रणाली का एक कलात्मक दृश्य।

ज ‘डिजिटल-युग’ में दुनिया सूचना के सुपरहाइवे पर दौड़ रही है। लेकिन, सूचनाओं के बाधा रहित संचार की चुनौती बनी हुई है। एक ताजा अध्ययन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने नई पीढ़ी की फ्री-स्पेस ऑप्टिकल संचार प्रणाली विकसित की है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रणाली सूचनाओं के निर्बाध संचार को सुनिश्चित करने में उपयोगी हो सकती है।

फ्री-स्पेस संचार में डेटा को ध्वनि, टेक्स्ट या इमेज के रूप में ऑप्टिकल फाइबर केबल के बजाय प्रकाश के माध्मम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक संचार प्रौद्योगिकी की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है। ऑप्टिकल या प्रकाशिक संचार प्रकाश द्वारा सूचना के बेतार (Wireless) संचार व प्रसारण को कहते हैं। यह आकाश, वायु, द्रव या ठोस में प्रकाश के खुले प्रसार द्वारा या इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रयोग के साथ प्रकाश के प्रसार के साथ किया जाता है।


डॉ बोसंत रंजन बरुआ और डॉ शांतनु कंवर (बाएं से दाएं)

फ्री-स्पेस संचार में डेटा को ध्वनि, टेक्स्ट या इमेज के रूप में ऑप्टिकल फाइबर केबल के बजाय प्रकाश के माध्मम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक संचार प्रौद्योगिकी की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछले करीब एक दशक के दौरान ‘फ्री-स्पेस’ संचार क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इस प्रकार की अधिकतर प्रणालियों में डेटा को सांकेतिक भाषा में बदलने के लिए ‘वोर्टेक्स’ नामक प्रकाश किरण (Light Beam) का उपयोग होता है। हालांकि, इसके उपयोग से जुड़ी एक प्रमुख समस्या यह है कि वातावरण में किसी प्रकार की अस्थिरता या शोर होने के कारण इसमें बाधा पैदा हो सकती है। प्रकाश अथवा लेज़र किरणों के माध्यम से वायरलेस रूप से सूचनाएं भेजते समय अस्थिर हवा के कारण डेटा का करप्ट हो जाना इसका एक उदाहरण है।

इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे आईआईटी, गुवाहाटी के शोधकर्ता डॉ बोसंत रंजन बरुआ ने बताया कि “इस समस्या से उबरने के लिए आईआईटी, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने डेटा को सांकेतिक भाषा में बदलने के लिए पहली बार प्रकाश के ‘जरनाइक’ मोड नामक ‘ओर्थोगोनल स्पेशियल’ मोड का उपयोग किया है। इस प्रणाली का उपयोग किसी इमारत के भीतर एवं बाहर स्थित दो लोगों के बीच उच्च गति और सुरक्षित संवाद के लिए किया जा सकता है।”

यह अध्ययन शोध पत्रिका कम्युनिकेशन्स फिजिक्स में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं में, डॉ बरुआ के अलावा अभयपुरी कॉलेज, असम के भौतिकी विभाग के शोधकर्ता डॉ शांतनु कंवर शामिल हैं।


इंडिया साइंस वायर

ISW/USM/25/11/2020

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