भविष्य की खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित खाद्य उत्पादों की उपलब्धता के लिए शोध को मिले बढ़ावा                                                                 

      

प्रदूषण से निपटने की रणनीतियों से लेकर बदलती जलवायु के दौर में भविष्य की खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित खाद्य उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चत करने, स्वास्थ्य से जुड़े खतरों से निपटने और उद्योगों में उपयोग होने वाले रसायनों के गुणों का परीक्षण करने के लिए गहन स्तर पर शोध कार्यों को बढ़ावा देने की जरूरत है। भारतीय विषविज्ञान संस्थान (आईआईटीआर) के निदेशक प्रोफेसर आलोक धवन ने ये बातें लखनऊ में आयोजित 5वें अंतरराष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन के दौरान कही हैं।

प्रोफेसर धवन ने बताया कि वर्ष 2015 में शुरू हुए इस सम्मेलन का उद्देश्य उद्योग जगत, नीति निर्माताओं और अकादमिक क्षेत्र को एक मंच प्रदान करना है ताकि खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के क्षेत्र में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि भारतीय विषविज्ञान संस्थान (आईआईटीआर) इस दिशा में लगातार काम कर रहा है।

फूड मैनेजमेंट सिस्टम में नई विश्लेषणात्मक रणनीतियों, दवाओं के प्रति सूक्ष्मजीवों की बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता के कारण खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ से जुड़े खतरों समेत कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर इस सम्मेलन में चर्चा की गई है। इन चर्चाओं के केंद्र में विषाक्तता कम करने तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आंकड़ों व नवीनतम प्रौद्योगिकियों का उपयोग, विषाक्तता भविष्यवाणी में मशीन लर्निंग की भूमिका, बिग डेटा एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित डायग्नोस्टिक एवं प्राग्नॉस्टिक टूल्स, कम्प्यूटेशनल गैस्ट्रोनॉमी और दवाओं के विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा डेटा साइंस मुख्य रूप से शामिल थे।


फूड मैनेजमेंट सिस्टम में नई विश्लेषणात्मक रणनीतियों, दवाओं के प्रति सूक्ष्मजीवों की बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता के कारण खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ से जुड़े खतरों समेत कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर इस सम्मेलन में चर्चा की गई है।

बायोटेक पार्क, लखनऊ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रोफेसर प्रमोद टंडन ने इस मौके पर कहा कि सम्मेलन की थीम के तीनों विषय मौजूदा दौर की प्रमुख चुनौतियों से जुड़े हैं। आगामी पीढ़ियों हेतु खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित खाद्य उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शोध कार्यों को बढ़ावा देना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने में आईआईटीआर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

आईआईटीआर द्वारा हर साल आयोजित किया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय विषविज्ञान सम्मेलन संस्थान के वार्षिक समारोह की प्रमुख गतिविधियों का एक प्रमुख हिस्सा है। इस वर्ष 5 दिसंबर को शुरू हुआ यह दो दिवसीय सम्मेलन मुख्य रूप से तीन विषयों - भविष्य की खाद्य सुरक्षा, विषविज्ञान एवं स्वास्थ्य में आंकड़ों के उपयोग और प्रदूषण नियंत्रण पर केंद्रित था।

पर्यावरण सुरक्षा और कचरा निस्तारण पर आईआईटीआर के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश के परियोजना निदेशक मनोज कुमार सिंह ने कहा कि – “पिछले दो दशकों के दौरान घरेलू कचरे के संघटकों में बदलाव हुए हैं, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित हो रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन और पर्यावरण सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। आईआईटीआर द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों की भूमिका इसमें अहम हो सकती है।”
इंडिया साइंस वायर