मेक इन इंडिया को मजबूत करने में मददगार हो सकती है सीएसआईआर की यह पहल                                                                 

      

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) और भारत हैवी इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीएचईएल) ने औद्योगिक उपयोग आधारित शोध एवं विकास और प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए आपस में करार किया है।

इस संबंध में दोनों संस्थानों के बीच बृहस्पतिवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। बताया जा रहा है कि यह पहल मेक इन इंडिया का हिस्सा है और इसके अंतर्गत सीएसआईआर द्वारा विकसित की गई प्रौद्योगिकियों का उपयोग बीएचईएल अपनी परियोजनाओं में करेगा। इस पहल से सरकार की मेक इन इंडिया योजना को भी प्रोत्साहन मिल सकता है।

इस समझौते के अंतर्गत शुरुआत में सीएसआईआर द्वारा विकसित जल शुद्धिकरण और सीवेज निपटारे से जुड़ी तकनीकों का उपयोग भारत हैवी इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा अपनी परियोजनाओं में किया जाएगा। फिलहाल यह समझौता आगामी पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगा।


सीएसआईआर को दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थानों में शुमार किया जाता है। वहीं, बीएचईएल भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग व विनिर्माण क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है।

सीएसआईआर को दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थानों में शुमार किया जाता है। वहीं, बीएचईएल भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग व विनिर्माण क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है।

वर्ष 2009 से 2019 के बीच भारतीय वैज्ञानिक शोध संस्थानों द्वारा दाखिल किए गए पेटेंट आवेदनों में से सीएसआईआर के सबसे अधिक 1,917 पेटेंट आवेदनों को स्वीकृति मिली है। पिछले 10 वर्षों में कुल 25 हजार से अधिक पेटेंट आवेदन दाखिल किए गए थे, जिसमें से 5,089 मामलों के पेटेंट दावों को स्वीकृति मिली है। इस दौरान विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के 519, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के 519 और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) के 11 पेटेंट आवेदनों को स्वीकृति मिली है।

इस अवधि में सीएसआईआर ने कुल 2,413, आईआईटी के 3,751, एनआईटी के 2,016 और डीआरडीओ द्वारा 998 पेटेंट दाखिल किए गए थे। राज्यसभा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से इस संबंध में दी गई जानकारी में कहा गया है कि गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय के 14 और अन्ना विश्वविद्यालय को 13 पेटेंट मिले हैं।
इंडिया साइंस वायर