जेंडर एवं प्रौद्योगिकी संचार

विज्ञान प्रसार का जेंडर और प्रौद्योगिकी संचार कार्यक्रम, प्रभावी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए सभी आयु समूहों और विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तर की महिलाओं के लिए प्रभावी कार्यक्रमों और संसाधन सामग्री का विकास किया गया है ताकि लक्ष्यित महिलाएं जानकारियों का चयन कर उनकी गुणवत्ता में सुधार के लिए उचित निर्णय लें सकने में समर्थ हो सकें।

उद्देश्य:
  • महिलाओं के जीवन और आजीविका में सुधार के लिए निवारक तरीकों का समर्थन करना।
  • तकनीकी विकल्पों और ज्ञान तक पहुंच में सहायक।
  • प्रौद्योगिकियों की पसंद और प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर निर्णय लेने में सुधार।
  • उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूकता पैदा करना जो स्त्रोतों से उत्पादकता बढ़ाने, कष्टप्रदता को कम करने और नए उद्यमों को अपनाने में मददगार साबित हो।
  • इन प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों, समस्याओं और विस्तार में आने वाले समस्याओं को दूर करने संबंधी उपायों के लिए विस्तारित संचारकों की व्यापक भागीदारी।
  • कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए एक कार्यबल का समर्थन करना।
  • प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए बेहतर अंतर-क्षेत्रीय समन्वय और एकीकरण सुनिश्चित करना।
  • प्रभावी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार और संपूर्ण सशक्तिकरण के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास के लिए महिलाओं के योगदान में वृद्धि
  • पूरे देश में फैले विभिन्न आयु समूहों, क्षेत्रों और पृष्ठभूमि की महिलाओं के लिए कार्यक्रमों और संसाधन सामग्री का विकास करना।
  • प्राथमिकता क्षेत्र:
  • महिलाओं का स्वास्थ
  • पोषण और खाद्य सुरक्षा
  • जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य
  • पर्यावरण और ऊर्जा
  • कृषि और जलवायु परिवर्तन
  • महिलाओं के लिए प्रौद्योगिकी
  • श्रम में कमी
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी
  • लक्ष्य समूह
  • सभी आयु वर्ग की महिलाओं जैसे शिशुओं, बच्चों, किशोरावस्था, प्रजनन आयु समूहों और बुजुर्गो आदि के लिए आयु समूहों और विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तर के आधार पर एवं उनकी समस्याओं और समर्थन की जरूरत के आधार पर महिलाओं के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों की पहचान की जाएगी
  • अतिसंवेदनशील जनसंख्या अर्थात आदिवासी समूहों, आपदा क्षेत्रों, गरीबी रेखा से नीचे की आबादी, झुग्गी निवासियों, खाद्य विक्रेताओं, श्रमिक, विकलांग, स्कूल के बच्चों, किसानों, कारीगर आदि।
  • समुदाय के कल्याण पर प्रभाव डाल सकने वाले समुहों: ये समुह जैसे फ्रंट लाइन श्रमिक (आईसीडीएस, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत सदस्य, विस्तार कार्यकर्ता, आदि) गैर सरकारी संगठन, एसएचजी, शिक्षक, छात्र, नीति निर्माताओं, राय नेताओं, सरकारी विभाग आदि स्वास्थ्य, पोषण, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थिति आदि पर प्रभाव डाल सकता है।
  • भारत के उत्तर—पूर्वी क्षेत्रों रहने वाले समुदायों के लिए विशेष पहल।