हमारे बारे में

विज्ञान प्रसार (वि.प्र.) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के अधीन एक स्वायतशासी संस्था है। वि.प्र. का उद्देश्य बड़े पैमाने पर विज्ञान लोकप्रियकरण के कार्यों/ गतिविधियों को आरंभ करना, वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और प्रचार-प्रसार करना तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार हेतु संसाधन-सह-सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करना है। विज्ञान प्रसार की स्थापना सन् 1989 में निम्नांकित उद्देश्यों के साथ की गयी थी: वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और प्रचार-प्रसार करना। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार हेतु संसाधन-सह-सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करना। बड़े पैमाने पर विज्ञान लोकप्रियकरण के कार्यों/ गतिविधियों को आरंभ करना। … आगे पढ़े हमारे बारे में

विज्ञान प्रसार के जेंडर एवं प्रौद्योगिकी संचार कार्यक्रम के द्वारा विज्ञान प्रसार का लक्ष्य प्रभावी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार सहित सभी आयु समूहों की महिलाओं और विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तर की महिलाओं के लिए प्रभावी कार्यक्रमों और संसाधन सामग्री के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना है। इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को जानकारियों को प्राप्त करने और अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए उचित निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना है। जेंडर एवं प्रौद्योगिकी संचार के बारे में आगे पढ़े

विशेष रूप से बच्चों के लिए गतिविधि किट्स और खिलौनों का विकास: इन्हें स्थानीय रूप से उपलब्ध और आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके विकसित किया गया है। ऐसी किटों का विकास विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों के आधार पर किया गया है। इनके बारे में एडुसैट कार्यक्रम सहित अनेक कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी जाती है। संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ, संसाधन व्यक्तियों के रूप में किटों को समझाते हुए बातचीत के माध्यम से बच्चों को विज्ञान विषयों की ओर प्रेरित करते हैं। विज्ञान प्रसार किटों का विकास करता है/उन्हें वितरित करता है / उन्हें लगातार अद्यतन करता है। आगे पढ़े

एडसैट उपग्रह इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) आधारित तकनीकों का इस्तेमाल करके देश भर में लाभार्थियों को मल्टीमीडिया सामग्री संचारित करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। इसमें सर्वर-होस्ट किए गए डिजिटल डेटा, चित्र और ग्राफ्किस सहित सूचनाएं रियल टाईम में प्रेषित की जाती हैं। यह जीएसएटी 3 पर अनुकूलन करता है जो दूरस्थ शिक्षा पर काम करता है। विज्ञान प्रसार भारत भर में अपने 50 सैटेलाइट इंटरएक्टिव टर्मिनल कक्षाओं के माध्यम से इसरो के एडूसेट सैटेलाइट इंटरैक्टिव टर्मिनल (एसआईटी) नेटवर्क का महत्वपूर्ण सदस्य है जो वैज्ञानिकों से जुड़े विभिन्न लक्ष्य समूहों में से एक है। लाभार्थियों में विद्यालयों के विद्यार्थी, महाविद्यालयों के विद्यार्थी, कामकाजी महिलाएं सहित आम नागरिक को दैनिक जीवन से संबंधित विज्ञान विषयों से अवगत कराया जाता है।आगे पढ़े

एमेच्योर रेडियो (हैम रेडियो) का उपयोग सामुदायिक संचार के वैकल्पिक मोड के रूप में किया जाता है। इसके अंतर्गत विज्ञान प्रसार द्वाराहैंड्स आॅन एक्सपेरिमेंटस् कार्यक्रमों का आयोजन आयोजित किया गया है। यह प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक संचार प्रणाली है। इस संबंध में नियमित रूप से सरकारी एजेंसियों/समाज/ रेडियो क्लबों /स्कूलों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।आगे पढ़े

खगोलविज्ञान एक ऐसा आकर्षक विषय है जो न केवल विद्यार्थियों को आकर्षित करता है बल्कि आम आदमी और शौकिया लोगों को रोमांचित करता है। सभी आयु समूहों में विषयों को समझने की जिज्ञासा बहुत आम होती है। ऐतिहासिक रूप से खगोल विज्ञान, ग्रहों, तारों, आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंड़ों और घटनाओं के अध्ययन से संबंधित विज्ञान की बहुत प्राचीन शाखा है। प्राचीन काल से रात के आसमान ने भारतीयों, बेबीलोनवासियों, मिस्रवासियों, चीनियों और यूनानियों समेत कई संस्कृतियों को मोहित किया है और आज भी यह एक रोचक विषय है।आगे पढ़े